अपने सनातन धाम की यात्रा पर चलने वाले साधक को सदा ही ऐसे कई भय का सामना करना पड़ता है, जिनके अस्तित्व की उसे खबर भी नहीं होती। क्योंकि यह यात्रा सजगता की है, जो हमारे बहुस्तरीय मन की गहराइयों में प्रवेश करती है। परंतु जब हम बेहोशी और प्रमाद से भरा जीवन जीते हैं, तो हमारे कई भय अनजान ही रहते हैं। मन की गहरी परतों में निष्क्रिय रहते हैं। जब ये अज्ञात भय सामने आते हैं, तो जान लें कि सजगता की रोशनी आपके मन की गहरी से गहरी परतों तक पहुँच चुकी है।
अपने हर भय को सजगता के प्रकाश से देखें। और स्मरण रखें – मन के जो भी निम्न भाव ऊर्जा के प्रकाश में आ गये, उन्हें अब जलकर नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। अज्ञात के भय को अनुभव करना शुभ है, क्योंकि यह संकेत है कि आप शुद्ध होने के लिए अपने भीतर जा रहे हैं।
इस उत्तम आत्म अवलोकन के सिद्धांत को साझा करने के लिए आपको वंदन🙏🏻
मैं अपनी इस स्थिति से अब तक घबरा रही थी। अब अपनी स्थिति को समझ कर मन शांत हो रहा है।
जय कृपालु
मेरा प्रणाम
आपका मार्ग दर्शन मुझे एक नया जोश, मनोबल और आत्मबल देता रहता है। आप मेरे जीवन पथ-प्रदर्शक ही लगते हैं