एक युवक एक डॉक्टर के पास जाँच के लिए पहुँचा।
डॉक्टर ने पूछा: “कैसे हैं आप?”
युवक: “बहुत अच्छा, डॉक्टर। मैं दिन में 23 घंटे और 36 मिनट स्वस्थ रहता हूँ।”
डॉक्टर: “क्षमा करें, मैं कुछ समझा नहीं…”
युवक: “ऐसा लगता है कि मुझे किसी प्रकार का संक्रमण हो गया है। मुझे हर घंटे लगभग 1 मिनट के लिए खांसी होती है, जिसके साथ थोड़ा-बहुत खून भी निकलता है। दिन के इन 24 मिनटों की खांसी के अलावा, मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ।”
संसार से मिलने वाला सुख इस युवक के स्वास्थ्य की परिभाषा के समान ही है – दुख की क्षणिक अनुपस्थिति।
दुख तो सिर्फ एक लक्षण है।
वास्तविक रोग की पहचान के लिए किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
“आत्मभ्रांति सम रोग नहीं, सद्गुरु वैद्य सुजान”
– श्रीमद् राजचन्द्र जी, श्री आत्मसिद्धि शास्त्र (गाथा 129)
Thank you Sri Guru for being our Family Doctor and your regular check-ups (Satsangs) and medicine (dhyan) help us heal our sickness (परिभ्रमण का दुख).
अहो उपकार श्रीगुरू!
अहो उपकार श्रीगुरू!
अहो उपकार श्रीगुरू!
Thank you Sri Guru. I am very happy to get this spiritual nourishment after joining this spiritual group recently.