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Beware of This Impostor

इस बहरूपिये से सावधान

एक बार की बात है, एक गाँव में दो छोटी लड़कियां रहती थीं। उनमें बहुत गहरी मित्रता थी। एक दयालु और निस्वार्थ बनकर बड़ी हुई, जबकि दूसरी स्वार्थी और अभिमानी हो गई।

एक सुहाने दिन, दोनों सहेलियों ने ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए कठोर साधना करने का निर्णय किया। वर्षों और वर्षों की साधना के बाद, अंततः ईश्वर साकार रूप में प्रकट हुए। उनकी लगन और भक्ति से बहुत प्रसन्न होकर, ईश्वर ने दोनों सहेलियों से एक वरदान माँगने को कहा।

दयालु और निस्वार्थ लड़की ने कहा – “हे ईश्वर! मनुष्यों का दुख देखकर मुझे बहुत दुख होता है। कृपया मुझे एक वरदान दीजिए, जिससे कोई भी मनुष्य मुझे देखते ही मुझे गले लगा ले, और ऐसा करने से उसे उसके दुखों से मुक्ति मिले!”

ईश्वर ने कहा – “तथास्तु! संसार तुम्हें प्रेम के नाम से जानेगा!”

स्वार्थी और अभिमानी लड़की ने कहा – “हे ईश्वर! मुझे दुख और पीड़ा के अभाव का डर है, क्योंकि मेरे तो अस्तित्व का आधार ही दुःख है। कृपया मेरी सहेली को अदृश्य बना दें, और मुझे बिल्कुल उसके जैसा रूप प्रदान करें। मैं जहाँ भी जाऊं, लोग उसे नहीं, बल्कि मुझे गले लगाएं, ताकि वे दुख में जीते रहें!”

ईश्वर ने कहा – “तथास्तु! संसार तुम्हें राग के नाम से जानेगा, लेकिन तुम्हें प्रेम समझने की भूल कर बैठेगा। परंतु स्मरण रहे, प्रेम को दिया गया वरदान व्यर्थ नहीं जाएगा। इसलिए, हर युग में कुछ दुर्लभ और असाधारण मनुष्य इस धरती पर अवतरित होते रहेंगे, जो तुम्हारे मुखौटे के आरपार देख पाएँगे, और दूसरों को भी ऐसा करने में सहायक रूप बनेंगे। ऐसे महापुरुषों को मैं स्वयं एक दिव्य दृष्टि से प्रेम को देखने का आशीर्वाद दूँगा!”

कहा जाता है कि वे दोनो सहेलियाँ आज भी इस संसार में घूम रही हैं – एक दुख का नाश करने के लिए, और दूसरी दुख के साम्राज्य का विस्तार करने।

क्या आप इन सहेलियों से मिले हैं?

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5 Comments

  1. Yes Prabhu, it’s me who carries both ie Prem and Raag.But in different proportions.

  2. Small story with big message. Somewhere in our thoughts both sisters are present. We have to redirect our thoughts so that Raag does not take over.
    Thank you our beloved Sri Guru ji for your guidance.
    My humble gratitude.

  3. सादर वंदन श्रीगुरुजी,
    प्रभु, यह सत्य है कि कुछ ही लोग राग और प्रेम के अंतर को जानते हैं। हमें आपको गुरु मानना और स्पष्टता प्राप्त करना वरदान है, प्रभुजी, बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

  4. I Love You, Prabhu!
    प्रभु, दोनों ही सहेलियाँ मेरे साथ रहती हैं। प्रभु, आपने ही उनसे परिचय कराया, नहीं तो हम उन्हें जान ही नहीं पाते। प्रभुजी, बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे अपनी शरण में लिया है।

  5. Jaikrupadu Sri Guruvar, thank you so much for explaining the difference between Prem and Raag. Shall increase my true, selfless love and replace Raag with true love, which is achievable in Thy grace.

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