घटती संकल्प-शक्ति का सिद्धांत कहता है कि जितना अधिक आप कोई कार्य करने के लिए प्रतीक्षा करते हैं, उतनी ही कम संभावना है कि आप वह कार्य कर पायेंगे। जिम रोहन ने मूल रूप से इस घटना को देखा और इस सिद्धांत की रचना करी। इसका मतलब है, जितना अधिक आप किसी नए विचार या कार्यनीति को लागू करने के लिए प्रतीक्षा करते हैं, उसके लिए आपका उत्साह उतना ही कम होगा। और यही वह प्रलय (विनाश) है जिसका उल्लेख संत कबीर दास जी ने अपने लोकप्रिय दोहे में किया है:
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब ॥
अपने भीतर झांकें – क्या आपके लक्ष्य या खुद से किए हुए संकल्प अक्सर विफल हो रहे हैं? यदि हाँ, तो जान लें कि आपके हर विफल होते संकल्प के साथ आपकी चेतना संकुचित हो रही है। तो सावधानी से कार्य करें। कम प्रतिबद्धता और अधिक पूर्ति के सिद्धांत पर चलें। क्योंकि भले ही आप अपनी प्रतिबद्धता किसी और को न बताएं, परंतु आप स्वयं उसे जानते हैं। इसे पूरा करने में विफलता अपराध बोध पैदा करती है, जो आपकी चेतना को संकुचित कर देता है।
जिस विचार को अमल में नहीं लाया गया, वह भ्रम से अधिक कुछ नहीं है। और पूर्ति के बिना प्रतिबद्धता आपकी चेतना को संकुचित करने का एक निश्चित ढंग है। बुद्धिमानी से सोचें और सावधानी से कार्य करें।
“Thank you Sri Guru 🙏आपने इस सिद्धांत से हमें अवगत कराया। अक्सर हम ऐसा ही करते है…
अहो उपकार श्री गुरु!🙏”