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भय या श्रद्धा

हमारा मन एक युद्धक्षेत्र है जिसमें सतत एक महायुद्ध चलता रहता है। विचार, दोष, वासनाएँ, इच्छाएँ, स्वच्छंद – माया हर संभव प्रयास करती है कि जिससे हम अपनी बुद्धि का प्रयोग ना करें और चकाचौंध भरे संसार में ही रचे-पचे रहें। माया हमारे अन्नमयी कोष को भेद सकती है (अनुशासन की कमी), हमारे मनोमयी कोष को ध्वस्त कर सकती है (सजगता की कमी), विज्ञानमयी कोष का उपहास उड़ा सकती है (विवेक की कमी) और आनंदमयी कोष को भी नुकसान पहुँचा सकती है (स्पष्टता की कमी)। परंतु इन पंचकोष के पार एक ऐसा योद्धा है, जो हमारे पक्ष में लड़ने के लिए सदा तत्पर और सतर्क रहता है – गुरु चेतना।

माया भय के द्वार से युद्धक्षेत्र में प्रवेश करती है – अकेलेपन का भय, भौतिक सफलता और सुखों की अप्राप्ति का भय, परिवर्तन का भय, अज्ञात का भय, मृत्यु का भय। यह द्वार प्राय: अधखुला ही रहता है, और माया को हमारे भीतर प्रवेश करने का निमंत्रण देता रहता है।

वहीं दूसरी ओर, गुरु चेतना एक ऐसे द्वार से प्रवेश करती है जो भय के बिलकुल विपरीत दिशा में स्थित है – श्रद्धा। यह द्वार आधा-अधूरा नहीं, पूरी तरह से खुला होना चाहिए। और एक बार गुरु हमारे भीतर प्रवेश कर जायें, वे न केवल माया के सभी निशान मिटा देते हैं, बल्कि भय का द्वार भी बंद कर देते हैं, और हमारे सभी कोषों का पुनर्निर्माण कर देते हैं।

भय या श्रद्धा – आज आप किस द्वार को खोलने का प्रयास करेंगे?


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16 Comments

    1. श्री गुरूजी,
      यही बिनती है आपसे, हमारी श्रद्धा का द्वार पूरी तरह से आपके लिए खुला रहे और माया की कोई चालाकी हमे आपसे दूर कर नही पाए.

    2. गुरु चेतना को शत्-शत् नमन 🙏, अहो उपकार, अहो उपकार 🙏🙏

  1. आपका बहुत धन्यवाद, श्री गुरु। हम श्रद्धा भाव को अपने भीतर और दृढ़ कर पाएं, ऐसी कृपा बनाए रखना

  2. श्री गुरु जी, यही बिनती है आपसे, हमारी श्रद्धा का द्वार पूरी तरह से आपके लिए खुला रहे और माया की कोई चालाकी हमें आपसे दूर नहीं कर सके

  3. गुरु चेतना को शत्-शत् नमन 🙏, अहो उपकार, अहो उपकार 🙏🙏

  4. Thankyou for sharing how Sadguru works for us, thanks for increasing our bhaav for Guru Dasha.

  5. जय कृपालु प्रभु 🙏🙏🙏
    प्रभु, सच्चमुच हम माया के जाल में उलझे हुए हैं, परंतु गुरु चेतना ही हमें उससे मुक्त करने में सक्षम है यदि हमारी श्रद्धा भरपूर है। धन्यवाद प्रभु 🙏🙏🙏

  6. जय कृपालु प्रभु, सचमुच, इस माया के जाल में ऐसे उलझ गए हैं कि खुद बाहर नहीं आ सकते, मगर इससे बाहर निकालने के लिए हमारे सौभाग्य से गुरु चेतना की नौका मिली है। मगर उसमें बैठने के लिए बस श्रद्धा की कमी है, हमें भरपूर श्रद्धा हो, तो श्री गुरु माँ सचमुच हमें पहुंचाएंगी। धन्यवाद प्रभु।

  7. Both
    We are revolving in game of Maya but because we have SatGuru like Sri Guru. One day Sri Guru will bring me out of this game of Maya it’s my faith on Sri Guru.

  8. जय कृपालु प्रभु श्री गुरु के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। माया का प्रभाव चारों ओर रहता है; प्रभु, आपकी कृपा से ही हम श्रद्धा के द्वार पर पहुंच पाएं। गुरु कृपा से हमारा श्रद्धा का द्वार खुला है।

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