Meditation

समाधि के लाभ क्या? | The Benefits of Meditation

पतंजलि योग सूत्र के आठवे एवं अंतिम अंग के रूप में, समाधि को हम सब ने कहीं ना कहीं सुना है, एक शांत, स्थिर, उच्च मनोदशा के रूप में समझा है पर कभी चाहा नहीं! कारण? सरल है, अब-तक हमने सदैव समाधि को एक ‘निश्चित मुद्रा’ के रूप में ही समझा है कि जहां कोई मुनि, कोई योगी, कोई साधु एक आसन पर हाथ पर हाथ धरकर, नेत्र बंद कर निष्क्रिय बैठे हो। और फिर जब हमने स्वयं के जीवन को देखा, जो अभी अति-व्यस्त है अनेकाविध कर्तव्य से घिरा हुआ है तो यह सोचा कि; “समाधि तो हमारे लिए है ही नहीं क्योंकि हमें तो अभी जीवन में बहुत से कर्तव्य पूर्ण करने है!” 

और इस प्रकार समाधि के उचित स्वरूप को ना समझने के कारण, हम इसके श्रेष्ठ, सुखमय और सुंदर अनुभव से वंचित रह गए। और वंचित रह गए समाधि के अनेक अतिच्छनीय लाभों से भी।

सर्वप्रथम तो यह जान लेना आवश्यक है कि, समाधि कोई निश्चित मुद्रा नहीं है। समाधि का अर्थ कदापि एक आसन पर हाथ पर हाथ धर, नेत्र बंद कर निष्क्रिय होकर बैठ जाना मात्र नहीं होता।

तो फिर समाधि है क्या?

समाधि का कोई अलग, अकेला अस्तित्व है ही नहीं अपितु वह तो ध्यान की ही एक उच्च, परम स्थिर स्तिथि है। इस अपेक्षा से यह बिलकुल कहा जा सकता है कि, ‘समाधि और उसके लाभ यानि ध्यान और उसके लाभ।

यह ध्यान-समाधि अनेका-अनेक प्रकार की होती है, जिसमें सदगुरु दशा के प्रति प्रेमसमाधि का स्थान अन्यय है। इसके लिए मनुष्य को सतत एकासनी होकर ध्यान मग्न रहने की आवश्यकता नहीं, एक बार यह समाधि अनुभव हो जाए तो इसकी प्रतीति जीवन के प्रत्येक आयाम और प्रवृति में संग रहती है। यहां हम समाधि यानि ध्यान के कुछ महत्वपूर्ण और जीवन में अतिआवश्यक व इच्छनीय लाभों को जानेंगे।

1. तत्क्षण शांति का अनुभव
ज्यों ही यह समाधि सधती है उसी क्षण और उतने क्षणों के लिए हमारे भीतर एक अपूर्व, अतुल्य शांति का अनुभव उमटता हैं और यह अनुभव दिवस के किसी भी समय किसी भी प्रवृत्ति को करते हुए हो सकता है! सतत अशांति से गिरे इस विचलित मन को कौन शांत नहीं करना चाहता?

2. मन समाधानमयी हो जाता है
देखें तो जीवन प्रश्नों की श्रृंखला है। जीवन के हर पड़ाव पर कोई दुविधा है और हम सदैव किसी न किसी से समाधान की प्रतीक्षा में रहते हैं किंतु सत्य तो यह है कि प्रत्येक प्रश्न का समाधान हमारे भीतर ही पड़ा है परंतु आवृत है। समाधि का एक लाभ यह भी है कि वह भीतर के सर्व समाधानों को उघाड़ देती है और मनुष्य का प्रश्नमयी मन समाधानमयी बन जाता है। ऐसी सुखद मनोदशा का अभिलाषी भला कौन ना हो?

सदगुरु का समागम तुम्हे समाधि के कुछ पलों से भर देता है अतः समाधानों से तुम्हे भर देता है!

श्री गुरु

3. कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है
अब तक समाधि शब्द को सदैव अध्यात्म और संन्यास के साथ ही जोड़ा गया है किंतु जब गुरु प्रेम-समाधि (जुड़ान) में किसी भी कार्य क्षेत्र में प्रयास साधा जाए, तो सफलता सहज हो जाती है! वह चाहे पढ़ाई का कार्य क्षेत्र हो या व्यवसाय का, कला का हो या विवाह और गृहादिक का। 

जब गुरु प्रेम में आप कोई इच्छा करते हो, तो आपकी वह इच्छा ब्रह्मांड के लिए आदेश बन जाती है!

श्री गुरु

4. शारीरिक और मानसिक स्तर पर प्रतिभाएं प्रकट होती है
मनुष्य अपने भीतर अनेक प्रतिभाओं को समाए बैठा है जो अभी अप्रकट रूप में हैं। मनुष्य जब इस ध्यान की उच्च दशा में प्रवेश करता है, तो भीतर से वह सारी शारीरिक-मानसिक प्रतिभाएं स्वतः उभर के आती हैं। इसीलिए आश्चर्य नहीं कि सद्गुरु के समागम में हम स्वयं को अनेक प्रतिभाओं से संवरा हुआ पाते हैं!

5. हार्दिक स्तर पर गुण खिलते हैं
जो हृदय को हल्का बनाए वह हार्दिक गुण। समाधि का यह सुंदर स्पर्श मनुष्य को अनेक हार्दिक गुणों से भी सजाता है। कभी क्षमा तो कभी प्रेम, निष्कामता तो कभी संतोष, जीवन को निर्भार और सरल बनाने वाले यह सारे सत्गुण ध्यानसमाधि की दशा में मनुष्य के भीतर हार्दिक स्तर पर प्रकट हो जाते हैं।

6. कर्म की बाधाओं के बादल हटते हैं
समाधि के यह दुर्लभ क्षण वह क्षण होते हैं, जब मनुष्य के कर्मों के बंधन भी फीके पड़ जाते हैं। यह सभी का अनुभव है कि सद्गुरु के समागम में हम किसी शारीरिक या मानसिक दुख का अनुभव नहीं करते, किसी को ना भूख लगती है ना प्यास, ना ही कहीं जाने की अधीरता। कर्म उदय उपस्थित होते हैं, किंतु हम उससे प्रभावित नहीं होते! यही तो है गुरु प्रेमजुडान का अपूर्व लाभ!

7. जीवन अर्थपूर्ण लगता है
समाधि वह स्तिथि है कि जिसमें प्रवेश करते ही मनुष्य को अपना जीवन अर्थपूर्ण लगने लगता है, उत्सव पूर्ण लगने लगता है। जीवन को अचानक से उसका उद्देश्य और अर्थ मिल जाते है। इस लाभ के प्रकट होते ही डिप्रेशन और मन की उदासी जैसे सारे ही भाव विलीन हो जाते हैं। ऐसा अर्थ और उत्सव से पूर्ण जीवन क्या इच्छनीय नहीं?

जैसे पेट भरना परिणाम है प्रक्रिया तो भोजन करने कि है, इस प्रकार स्व-गुणों (समाधि) का प्रगट होना तो परिणाम है प्रक्रिया साधना (ध्यान) में छिपी हुई है।

श्री गुरु

समाधि के यह कुछ एक लाभ भी हमारे जीवन में ध्यान की महिमा को स्थापित करने के लिए सक्षम हैं। SRM में श्री गुरु द्वारा उजागर हुई कई ध्यान विधिओ ने, साधकों के जीवन में इन लाभों को प्रत्यक्ष किया है। प्राण क्रिया, शक्ति क्रिया, हृदय क्रिया, सोहम क्रिया जैसी ध्यान विधिओ से एक ओर साधकों के मन स्व-समाधान से भरे हैं, तो दूसरी ओर उनके जीवन अनेक प्रतिभाओं और कार्य क्षेत्र की सफलताओं से सजे भी हैं। वही सदगुरु की चेतना से बहते ध्यान-धारा के अपूर्व ध्यान प्रोयोगो ने, साधकों के जीवन में शांति संग उत्सव के सुंदर समन्वय को भी प्रत्यक्ष किया है। अतः यदि हमारी उपरोक्त में से किसी एक लाभ प्राप्ति की भी इच्छा है, तो पुरुषार्थ हो सटीक ध्यान का और परिणाम होगा स्वतः ही समाधि का!



You may also like

1 Comment

Leave a reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

More in:Meditation