Prem Kathan

प्रेम की अपूर्व संपदा

सद्गुरू की प्रेम समाधि यानी ऊर्जा का अतुल अस्खलित बहाव। और जब प्रेम की यह अपूर्व संपदा बहती है तो प्रश्न होता है कि इसे किसके आँचल में उड़ेल दिया जाये? सभी आँचल छोटे पड़ते हैं, सभी पात्र छोटे दिखते हैं और सभी मन के आँगन संकुचित लगते हैं। यह तो किसी शिष्य के समर्पण में प्रेम का ऐसा आकाश उघड़ कर आया होता है कि सद्गुरू की प्रेम-संपदा उसी में सहज उड़ेल दे जाती है। आकाश से भी व्यापक इस प्रेम-ऊर्जा को कोई आकाश जैसे अलिप्त हृदय का ही साथ चाहिए जो इस संपदा को सम्भाल भी सके और समय आने पर दूसरों को बाँट भी सके।

प्रेम की यह मधुर ध्वनि कानों से नहीं हृदय से सुनी जाती है। जिसके हृदय में जितना समर्पण है, भक्ति है, श्रद्धा है और प्रार्थना है वही प्रेम की इस ध्वनि को सुनता है, प्रेम की इस बरसात में भीगता है और उसी का हृदय आकाश जैसा निष्कलंक हो जाता है। यही प्रेम की अपूर्व संपदा है!

ईश्वर की संपूर्ण खोज ही प्रेम की खोज है। ईश्वर को आकार में समझाया जाए तो पत्थर की प्रतिमाएँ बन जाती हैं लेकिन ईश्वर को एहसास में समझाया जाये तो वह प्रेम हो जाता है। पत्थर की प्रतिमाओं के आसपास मंदिरों की दीवारें बन जाती है लेकिन प्रेम के इस धन्य एहसास में वह परिशुद्ध शक्ति है जो सभी दीवारों को गिरा देता है। इस प्रेम की खोज, प्रेम का एहसास और प्रेम में ख़ुदमुख़्तार (independent) हो जाना ही प्रेम की अपूर्व संपदा है!


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10 Comments

  1. आप हमारे कृष्ण हों प्रभु, बस हमें मीरा जैसी भक्ति प्रदान करें जिससे हमारे हृदय का निर्माण हो और उसमे आपका अन्नत आकाश समा लेने की क्षमता का विस्तार हो सके।

    सद्गुरु के चरणों में अनन्य भक्ति से नमन 🙏❤️

  2. जय कृपालु श्रीगुरुजी 🙏
    सच में सद्गुरु के असीम प्रेम के समक्ष शिष्य का आंचल छोटा ही पड़ता है। ईश्वर और सद्गुरु एक दूसरे के पर्याय ही हैं। गुरुजी प्रेम कानो की नहीं हृदय की वास्तु है, अनुभव की वास्तु है। मन में प्रश्न उठता है और आपसे पूछना चाहती हु कि प्रेम समाधि में कैसा अनुभव होता है, पर पूछ नहीं पाती। आपके जब भीगे-भीगे शब्द सुनती हूं तो सच में अंदर तक भीग जाती हूं पर फिर संसार घेर लेता है,इसीलिए तो हमारा आंचल छोटा पड़ता है हे। धन्यवाद प्रभु।

  3. जय कृपालु। अनन्य शरण देने वाले परमात्मा स्वरूप प्रत्यक्ष श्री सद्गुरु को अत्यन्त भक्ति से नमस्कार।
    केवल और केवल समर्पण, प्रेम, श्रद्धा और प्रार्थना…।।
    गुरु कृपा से आकाश जैसा निष्कलंक होऊ, प्रेम की अपूर्व कृपा प्राप्त हो।

  4. जय कृपाडु 🙏 श्री गुरु के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम 🙏 आप दयालु है प्रभु, मुझ जैसे बेकार इंसान को आपके सत्संग के वचनों ने निखार दिया प्रभू। आप अति कृपालु हैं, मे कृतार्थ हु, मे कृतार्थ हु।

  5. आपके शब्दों में आपकी प्रेम समाधि की अद्वितीय संपदा का सुंदर वर्णन है। इस प्रेम भरे संदेश के लिए धन्यवाद श्री गुरु। आपके प्रेम से उत्पन्न विचारों का सार्थक उपयोग करने को हम तत्पर हैं।अहो उपकार श्री गुरु!

  6. श्री गुरु जी आपको हृदय से नमन, वंदन।
    प्रभु आपके अद्भुत सत्-समागम और निरंतर बहती गंगा समान प्रेम धारा सभी की अनुभूति में है। हम सब का हृदय चक्र सक्रिय भी हुआ है। आप की इस उत्तम ब्रह्म दशा को कोटि-कोटि नमन।

  7. जय कृपालु श्री गुरु। प्रभु आपके दिव्य दर्शन और प्रेम ही हमेशा हमारे हृदय और आत्मा को आनंद देते हैं। आपकी प्रेम की व्याख्या हमारा मार्गदर्शन करती है। अनेक धन्यवाद प्रभु।

  8. Jai Krupalu 🙏🌹💐
    Thankyou Sri Guruji for explaining the deep meaning of Prem and the way to experience it. We would have never understood it without you 👏🏼

  9. You are the epitome of Love and we aspire to experience a part, or whole of this..! Only you can give us this ability and we only seek to transform into this prem forever.
    Guru kripa is felt in every core of my existence only because of a true Sadguru, who only cares to give, give and only give Love in abundance!
    Your each yukti is felt in the heart with no distance barriers. Connection is so transparent prabhu!

  10. जय कृपालु श्री गुरू!
    निराकार ईश्र्वर साकार रूप में, आपके द्बारा प्रेम, करूणा बरसा रहें हैं। ईश्र्वर को देखने, समझने की तमन्ना तो आपकी मुद्रा देखकर, वचन समझकर एवं आचरण में लाकर पूरी होती है। इस प्रेम की वर्षा में पूरी तरह भीगकर भक्ति में लीन हो जाते हैं।
    श्री गुरु, आपकी पनाह में हमें हमेशा रखना, यही प्रार्थना स्वीकार किजिए! धन्यवाद प्रभु!

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