Prem Kathan

श्री गुरु की कलम से – प्रेम समाधि की पुकार

सद्गुरू की प्रेम समाधि! अब शब्द नहीं, मौन में संपर्क होता है।

जब मौन में बैठ कर यह प्रेम तरंगें पुकार करती हैं तो जो हृदय प्रेम के लिए लालायित होते हैं उनका हृदय तरंगित हो जाता है। समय और स्थान इस पुकार में बाधा नहीं बनते क्योंकि यह प्रेम की तरंगें समय और स्थान से अतीत हैं। इन प्रेम-तरंगों को अपने हृदय में आंदोलित करने के लिए बस मुक्ति की आतुरता चाहिये और समर्पण का आधार चाहिये।

समर्पण वह आधार है जो मनुष्य को अंधेरों में भी नाव चलाने का साहस दे जाता है। भीतर कोई ऐसी आवाज़ सुनाई देती है जिसकी पुकार को अब टाला नहीं जा सकता है। और इसलिए मन यह दुस्साहस करता है और किनारों की सुरक्षा को छोड़ने लगता है। जो इतने साहस से इस पुकार के पीछे निकल पड़ते हैं उनके लिये मझधार भी किनारे हो जाते हैं और खो कर भी वह स्वयं को पा जाते हैं।

बस, आवश्यकता है हृदय में मुक्ति की आकांक्षा को जगाने की। यह अभिलाषा ही सोये हुए हृदय को जागृत करती है। संसार की वस्तुएँ पाने के लिए शरीर-मन-बुद्धि की सक्रियता चाहिये लेकिन परमात्मा को पाने के लिए तो हृदय को सक्रिय करना होगा। यह सक्रिय हुआ हृदय ही सद्गुरू के हृदय की पुकार सुन पाता है और सुन कर उस अज्ञात की दिशा के अदृश्य पदचिह्नों के पीछे चल पड़ता है – यही सद्गुरू के हृदय में उठ रही प्रेम समाधि की पुकार है जो प्रेमी के हृदय में पहले धीरे-धीरे सुनाई देगी, लेकिन यदि तुम उस राह निकल पड़े तो यात्रा दुर्निवार (unstoppable) हो जायेगी..!


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9 Comments

  1. Now I constantly feel SRI GURU’S aura. It feels calm, peaceful, and brings inner happiness!

  2. जय कृपालु प्रभु, श्री गुरु जैसे ही आपकी मुखमुद्रा सामने आती है, हृदय स्पंदन शुरू हो जाता है और एक प्रेम की लहर उठती है, और आँखे भीग जाती हैं। अहोभाव है आपके चरणों में, कोटि-कोटि धन्यवाद। इस भाव में तार लो, सदगुरु। I love you Sri Guru

  3. अनाहत में उनकी तरंग उठने लगती है और हृदय में नृत्य उत्पन्न होता है, जिसकी झिरमिरता मानो गुरु प्रेम समाधि से आ रही हो।

  4. श्री गुरु के समीप होने पर और उनके सत्संग में हम अपने दुख दर्द भूलकर एक अलग औरा अनुभव करते हैं। आप की कृपा और प्रेम भरी नज़रों का अनुभव अनाहत पर एक अलग आनंद देता है। धन्यवाद श्री गुरु।

  5. In deepest Reverence to Sri Guru, empowering us to awaken our latent energies in the Anahat Kendra through the Swaraj Kriya; vibrating, accelerating the waves of Consciousness pervading through the upper energy zones. It’s the consistency & continuity in our practice substantiated by Sri Guru that will help us achieve our goals.

  6. Sri Guru’s grace flows in SwaRaj Kriya, that awakens our latent energies in Anahat Kendra and the experiences of Blissful moments of consciousness are felt in the upper energy zones.

  7. आहो उपकार श्री गुरु जी, स्वराज क्रिया के लिए।
    स्वराज क्रिया हमारे अनाहत केंद्र को सक्रिय करती है ताकि हम अपने अनाहत केंद्र में, अपने हृदय में श्री गुरु जी की उपस्थिति अनुभव कर सकें।
    उपकार कार्यो हरि मेल भयो।
    अंखिया जो हथी, अब नयन भई।
    धन्यवाद श्री गुरु जी।
    ग्रहों प्रभुजी हाथ।

  8. जय कृपालु प्रभु, तारो प्रभु! तारो आपका बार-बार धन्यवाद, तारों प्रभु जी, तारो।

  9. आए इस मैदाने मोहब्बत मे सिर्फ वही।
    कफन बांधे है जिन्होनेन अपने सिरो पर।।
    ईश्वर की खोज, ईश्वर को पाने की इच्छा जगे, सच तो यह है – यह एक आग है, तड़प है, पीड़ा है और ईश्वर के प्रति प्यार है। देरी और दूरी हमारी तरफ से है, ईश्वर की तरफ से नहीं ।

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