Prem Kathan

प्रेम — अहोभाव और कल्याण की गूंज

श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो बोध दिया वह कर्म से संन्यास लेने का नहीं था लेकिन कर्त्ता से मुक्त होने का था। और कर्त्ता से मुक्त होने के लिए कर्म की समझ नहीं परंतु प्रेम का एहसास चाहिये। 

यह प्रेम जब शरीर के स्तर पर व्यापक होता है तो सभी कार्य अश्रम रूप (effortless) से होते हैं। 

यह प्रेम जब मन के स्तर से गुज़रता है तो अविभाजित रूप (unfragmented) से मन उमंग में रहता है।

यह प्रेम जब बुद्धि के स्तर से बहता है तो अप्रभावित रूप (unaffected) से बुद्धि अटल निश्चय कर लेती है।

शरीर-मन-बुद्धि यह तीनों स्तर जब ऐसे सामंजस्य (harmony) में संगठित होते हैं तो प्रेम का परिशुद्ध  आयाम उघड़ता है जिसे ‘हृदय’ कहते हैं। 

जब भी यह प्रेम इस धरती पर उतरा है तो नाचता हुआ, गाता हुआ, उत्साह से और करुणा से भरा हुआ आया है। उसके हाथों में वीणा हो या होठों पर बांसुरी लेकिन उसके प्राणों में बस करुणा का ही स्वर होता है। ऐसे प्रेम की अभिव्यक्ति में मात्र अहोभाव और कल्याण की गूंज ही होती है..!

प्रेमी हृदय में सदा यही धन्यता के भाव गूंजते हैं कि आहा! हम अब उस अनंत अस्तित्व के अभिन्न हिस्से हो गये! आहा! हम उस अनंत महासागर के अखंड अंश हो गये! और आहा! हम न जाने कैसे इस दिव्य सफ़र पर कितने ही प्रेमियों के हमसफ़र हो गये..!


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3 Comments

  1. अहो गुरु राज, धन्य आपकी प्रेम समाधी! हम जैसे जीवों को प्रेम की भाषा सीखने की ओर आपने प्रेरित किया, और पूरा जीवन नाच से, उल्लास व उमंग की लहरो से भर दिया।.. आप प्रेम रूपी कृष्ण की हम गोपिया बनकर इस धरा में रास रचायेंगे। प्रेम की बंसी आप बजाते हो, और उसका संवेदन हम तक पहुंच रहा है गुरुदेव.. यह वर्णन लिखा न जाए, कहा न जाए, ऐसा प्रेम बरस रहा है प्रभु। अहो! अत्यन्त भक्ति भाव से कोटि-कोटि वन्दन, नमन श्री गुरु!

  2. श्री गुरु के सानिध्य में उनकी ही करुणा कृपा से उनके प्रति का प्रेम अनंत बढ़ता रहे…. love you Sri Guru

  3. Wowww… Such a wonderful feeling to experience.. Thank you so much Sri Guru for explaining the check points of Love at different levels… May we all under your Divine Grace experience that Love at all three stages and reach that stage of Harmony where our Hriday develops 🙏
    Aho Upkar Sri Guru 🙏

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