Shrimad RajchandraSpirituality

मोक्षमाला शि. #4 “मानव देह” (Mokshmala Ch. 4)

Mokshmala by Shrimad Rajchandra Ji - Article

परम कृपालु देव श्रीमद् राजचन्द्र जी को सातवें वर्ष में जातिस्मरण ज्ञान हुआ जिसके परिणाम स्वरूप अनेक जन्मों का मोक्ष-लक्ष्यी ज्ञान उजागर हुआ था। सोलहवें वर्ष में उन्होंने ऐसे विविध विषयों को समझाते हुए ‘मोक्षमाला’ का आलेखन किया जो मुमुक्षु के लिए लाभकारी बनें। इस शृंखला के अन्तर्गत मोक्षमाला के 108 पाठों में से कुछ पाठ प्रस्तुत किए जा रहे हैं।


तुमने सुना तो होगा कि विद्वान मानव देह को दूसरी सभी देहों की अपेक्षा, उत्तम कहते हैं। परंतु उत्तम कहने का कारण तुम नहीं जानते होंगे, इसलिए  मैं उसे कहता हूँ। 

यह संसार बहुत दु:ख से भरा हुआ है। ज्ञानी इसमें से तर कर पार होने का प्रयत्न करते हैं। मोक्ष को साध कर वे अनंत सुख में विराजमान होते हैं। यह मोक्ष, दूसरी किसी देह से मिलने वाला नहीं है। देव, तिर्यंच या नरक, इनमें से एक भी गति से मोक्ष नहीं है; मात्र मानव देह से मोक्ष है। 

अब तुम पूछोगे कि सभी मानवों का मोक्ष क्यों नहीं होता? इसका उत्तर भी मैं कह दूँ। जो मानवता को समझते हैं, वे संसार शोक से पार हो जाते हैं। जिनमें विवेक बुद्धि का उदय हुआ हो, उनमें विद्वान मानवता मानते हैं। उससे सत्यासत्य का निर्णय समझ कर परम तत्त्व, उत्तम आचार और सद्धर्म का सेवन करके वे अनुपम मोक्ष को पाते हैं। मनुष्य के शरीर के देखाव से विद्वान उसे मनुष्य नहीं कहते; परंतु उसके विवेक के कारण उसे मनुष्य कहते हैं। जिसके दो हाथ, दो पैर, दो आँखें, दो कान, एक मुख, दो होंठ और एक नाक हों, उसे मनुष्य कहना, ऐसा हमें नहीं समझना चाहिये। यदि ऐसा समझें तो फिर बंदर को भी मनुष्य मानना चाहिये। उसने भी तदनुसार सब प्राप्त किया है। विशेष रूप से उसकी एक पूँछ भी है। तब क्या उसे महामनुष्य कहें? नहीं, जो मानवता समझे वही मानव कहलाता है। 

ज्ञानी कहते हैं कि यह भव बहुत दुर्लभ है, अति पुण्य के प्रभाव से यह देह मिलती है; इसलिए इससे शीघ्र आत्म-सार्थकता कर लेनी चाहिये। अयमंतकुमार, गजसुकुमार जैसे छोटे बालक भी मानवता को समझने से मोक्ष को प्राप्त हुए। मनुष्य में जो शक्ति विशेष है, उस शक्ति से वह मदोन्मत्त हाथी जैसे प्राणी को भी वश में कर लेता है; इसी शक्ति से यदि वह अपने मन रूपी हाथी को वश में कर ले तो कितना कल्याण हो!

किसी भी अन्य देह में पूर्ण सद्-विवेक का उदय नहीं होता और मोक्ष के राजमार्ग में प्रवेश नहीं हो सकता। इसलिए हमें मिली हुई अति दुर्लभ मानव देह को सफल कर लेना आवश्यक है। बहुत से मूर्ख दुराचार में, अज्ञान में, विषय में और अनेक प्रकार के मद में, मिली हुई मानव देह को वृथा गँवा देते हैं। अमूल्य कौस्तुभ खो बैठते हैं। ये नाम के मानव गिने जा सकते हैं, बाकी तो वे वानर रूप ही हैं।

मौत के पल को निश्चित रूप से हम नहीं जान सकते; इसलिए यथा-संभव धर्म में त्वरा से सावधान होना चाहिये।


नए लेख हर रविवार

You may also like

2 Comments

  1. Is naswar sansar ko Jaan to liya Magar manne mein nahin a raha hai Guru ke prati shradha utpann ho gai hai parantu samarpan jis bhav se utpann hona chahie vah samarpan nahin Ho pa raha hai

  2. Is chance ko moka bin n jaunga sri gurudev ki graceful. ……….sath he

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *