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जिसे तुम ढूँढ रहे हो उसे ध्यान में पाओगे! — Meditation Meaning in Hindi

ध्यान का अर्थ - शांति की खोज
This article elaborates the meaning of Meditation in Hindi. Authored by Sri Guru

ध्यान का एक अर्थ है – शांति की खोज सही दिशा में करना। जिस ओर आग लगी हो, उस ओर दौड़ने से सुरक्षा कैसे प्राप्त होगी? संसार से संसार में ही दौड़ोगे तो शांति कैसे प्राप्त होगी? उस खोज को भीतर की तरफ़ मोड़ना होगा। और यही ध्यान का मार्ग है।

प्रत्येक मनुष्य की चाहत है सुख और शांति। यह चाहत कदापि गलत नहीं है परंतु गलत है वह दिशा जिसमें मनुष्य इसे खोज रहा है; गलती है उन ढंगों में जिसके प्रयोग से मनुष्य इस शांति की प्रतीक्षा कर रहा है। आज का होशियार कहा जाने वाला मनुष्य अभी तक यह क्यों नहीं समझ पाया है कि जिस दिशा में वह सुख और शांति खोज रहा है यदि उस दिशा में वह होते तो उसे अवश्य मिल गए होते? मनुष्य को ऐसा लगता है कि थोड़ी और खोज… और वह सुख का खज़ाना और शांति का दरिया उसे मिल ही जाएगा। परंतु जिस दिशा में वह है ही नहीं उस दिशा में असंख्य प्रयास भी असफल ही रहते हैं। मनुष्य का अनुभव तो यही है परंतु आशा की दृढ़ता ऐसी है कि हार मानना भी नहीं चाहता है।

ध्यान का अर्थ - श्री गुरु का लेख

श्री गुरु के ध्यान प्रयोग में लोगों की स्थिरता

सुख की खोज अशांत करता है

ध्यान के धनी और शांति से समृद्ध लोगों ने यही जाना है कि सुख और शांति अवश्य मिलते हैं परंतु अपने भीतर, बाहरी दुनिया से इसका कोई भी प्रयोजन नहीं है। बाहरी दुनिया से सुख व शांति की खोज में निकला मनुष्य कभी कुछ पलों के लिए सुखी हो भी जाए परंतु शांत नहीं हो पाता है। क्योंकि प्रत्येक सुख की प्राप्ति के पश्चात् मनुष्य और अधिक सुख की खोज में निकल जाता है जो खोज पुनः उसे अशांत ही रखती है। 

ध्यान का अर्थ - श्री गुरु का लेख

श्री गुरु के ध्यान प्रयोग में लोगों की स्थिरता

ध्यान का अर्थ – शांत होने का ढंग है 

मनुष्य को यह विचार करके निर्णय करने का समय आ गया है कि जिसे वह ढूँढ रहा है वह उसे ध्यान में ही प्राप्त होगा। या ऐसा कहें कि जिस ढंग से वह सुख और शांति को ढूँढ रहा है उसी ढंग को ‘ध्यान’ कहते हैं। ध्यान यानी संसार के पदार्थों (वस्तु, व्यक्ति, परिस्थिति) की ओर भागते हुए हमारे मन को प्रयासपूर्वक अटका कर स्वयं के शरीर, श्वास और विचारों की ओर ले आना। ध्यान में विचारों को रोकना नहीं होता परंतु बस जानना होता है। और इस जानने में इतना सामर्थ्य होता है कि अशांत कर देने वाले विचार स्वयं से ही गिर जाते हैं। जब मन में शांति की यह लहर उठती है और बार-बार उठती है तो इसी निरंतरता का अनुभव हमें सुख-रूप लगने लगता है। जैसे — समुद्र में उठती एक लहर, फिर दूसरे, फिर तीसरी और अगणित लहरों का समूह ही समुद्र कहलाता है ऐसे ही शती की एक-एक लहर मिल कर सुख का अनुभव कहलाती हैं।

जानने में इतना सामर्थ्य होता है कि अशांत कर देने वाले विचार स्वयं से ही गिर जाते हैं।

किसी ध्यान समृद्ध मनुष्य के आसपास सदा ही ऐसी सुख और शांति की तरंगें बहती रहती हैं। ऐसे व्यक्ति के निकट या उनके मार्ग-दर्शन में जब ध्यान की सटीक विधियों का प्रयोग किया जाता है तो हमारा मन ध्यान के क्षेत्र में सही रूप से प्रवेश कर पाता है। सुख और शांति अवश्य इसी संसार में हैं; आवश्यकता है तो बस उन सही मार्गों को जानने की जिस पर चल कर हम उसे पा जाएँ जिसे जन्मों से ढूँढ रहे हैं!

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2 Comments

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